सतीश चन्द्र धवन राजकीय महाविद्यालय, लुधियाना के प्रांगण में आज गीत-ग़ज़लों पर आधारित *जश्न-ए-साहिर* व *'अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस'* कार्यक्रम का आयोजन किया गया। महाविद्यालय के पुराने विद्यार्थी साहिर लुधियानवी(विश्वप्रसिद्ध उर्दू कवि व गीतकार) को समर्पित इस कार्यक्रम में साहिर द्वारा कलमबद्ध गीतों को सुर प्रदान दिया गया। लुधियाना के सुप्रसिद्ध संगीतकार व कलाकार श्री रणधीर कँवल(ध्वनि एसोसिएशन फ़ॉर परमोटिंग आर्ट, लुधियाना) एवं उनकी साथियों द्वारा साहिर के गीतों को स्वरबद्ध किया गया। पिछले चार दिनों से साहिर केन्द्रित साहित्यिक कार्यक्रम महाविद्यालय में करवाया जा रहा है। इस साहित्यिक कार्यक्रम के अंतिम दिन महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रोफेसर अश्वनी भल्ला ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री मोहम्मद गुलाब (वाईस चेअरमैन, बी. सी. फिमको) एवं इस अवसर पर पधारे शहर के गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया गया। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय को हमेशा ही अपने उन सभी विद्यार्थियों पर गर्व रहा है जिन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर इस महाविद्यालय का ही नहीं बल्कि इस समाज व देश का नाम रौशन किया है। साहिर लुधियानवी इस महाविद्यालय के एक ऐसे देदीप्यमान सितारा रहे हैं जिन्होंने अपने शब्दों व गीतों से अपने होते हुए तो समाज को रौशन किया ही है, आज न होने के बावजूद उनके गीत समाज को आलोकित कर रहे हैं। 8 मार्च(अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस) पर इस शायर का जन्म हुआ, जिनके गीत आज भी महिला सशक्तिकरण का उत्कृष्ट उदाहरण है। *'औरत ने जन्म दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाज़ार दिया। जब जी चाहा मचला कुचला, जब जी चाहा दुत्कार दिया।।'...* जैसे क्रांतिकारी लेखन के बल पर उन्होंने नारी चेतना की ऐसी मशाल जलाई जो आज तक जलकर समाज को दिशा दिखा रही है।
साहिर के साहित्यिक दुनियां की शुरुआत इसी महाविद्यालय से शुरू हुई। आज से 50 वर्ष पूर्व महाविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर साहिर ने अपनी एक कविता भेंट की- *ऐ नई नस्ल, तुझको मेरा सलाम...*। साहिर ने अपनी शायरी में अपने नाम *साहिर(जादूगर)* को सार्थक किया। इस संगीत कार्यक्रम में इसी महाविद्यालय के विद्यार्थी तरुणेश ने साहिर का गीत *मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया...हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया...* (फ़िल्म- हम दोनों) की प्रस्तुति दी। इसी प्रकार इसी महाविद्यालय के विद्यार्थी शिवम ने (फिल्म-नीलकमल) *तुझको पुकारे मेरा प्यार...* गीत विद्यार्थी श्रुति शर्मा ने *कभी कभी मेरे दिल में ख़्याल आता है...* गीत गाकर श्रोताओं को रोमांचित कर दिया। इसी महाविद्यालय के विद्यार्थी अक्षय ने
(फिल्म- हम दोनों) *कभी खुद पे, कभी हालात पे रोना आया...* गज़ल गायी।
इसी प्रकार *अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस कार्यक्रम* के तहत महाविद्यालय की प्राध्यापिका प्रो. इरादीप व प्रो. गीतांजलि ने अपने विचार रखे।
प्राचार्य डॉ. धर्म सिंह संधू ने कार्यक्रम के समापन पर सभी के प्रति धन्यवाद एवं आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय अपने 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर अपने विद्यार्थियों को याद कर रहा है। इसी कड़ी में अपने विद्यार्थी साहिर लुधियानवी के जीवन व लेखन पर केंद्रित चार-दिवसीय साहित्यिक कार्यक्रम करवाया गया। इस शायर ने अपने लेखन में नारी के सशक्तिकरण को लेकर बहुमूल्य लेखन किया है, इसी कारण से जश्न-ए-साहिर और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए लुधियाना की प्रतिष्ठित संस्था *'ध्वनि'* का सहयोग मिला है। डॉ. संधू ने कहा कि श्री रणधीर कँवल एक प्रतिबद्ध संगीतकार हैं जो लुधियाना के युवा कलाकारों को मंच प्रदान करते हैं। इसी प्रकार अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन भी बड़े महत्त्वपूर्ण ढंग से किया गया जिस में महाविद्यालय के प्रो. ईरादीप ने महिलाओं के प्रति बदलती सोच पर अपने विचार प्रस्तुत किए जिसका मुख्य विषय महिला सशक्तिकरण रहा। समागम में प्रो. गीतांजलि ने मंच संचालन की भूमिका निभाई।उन्होंने इस अवसर पर दिव्या दत्ता की कविता 'तुमने कहा था एक ही है हम तो अपने बराबर कर दो नाम।हरसिमरत चावला,(एम.एससी गणित) वर्तमान में lcet विश्वविद्यालय में प्रोफेसर,कालेज की पूर्व विद्यार्थिनी ने महिला सशक्तिकरण पर अपने विचार व्यक्त किए।
ईशिता थमन(एम.ए.इकनामिक्स)जिसका हाल ही में भारतीय अर्थशास्त्र सर्विस में चयन हुआ है ने इस पर अपने विचार व्यक्त किए।
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